जानिए किलमोड़ा क्या हैं | Janiye Kilmora kya hai | All about Kilmora
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दोस्तो नमस्कार!
क्या आपने कभी किलमोड़ा नाम सुना है? अगर आप पहाड़ के वासिंदे हैं या कभी गर्मी के मौसम में पहाड़ घुमने आये हो तो सायद आपने जामुनी रंग के किलमोड़ा फल का स्वाद जरूर लिया होगा। इसके अतिरिक्त अधिकतर लोग तो किलमोड़ा नाम से अंजान ही होते हैं।
आईयें चलिए आज किलमोड़ा के बारे में जानते हैं। मेरा दावा है कि इस जानकारी को पढ़ने के बाद आप इस गुणकारी वनस्पति को अपने फायदे के लिए बेताब हो उठेंगे।
इस लेख में हम किलमोड़ा से सम्बंधित वह प्रत्येक जानकारी आपको देंगे, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए।
किलमोड़ा क्या है Kilmora kya hai?
किलमोड़ा हिमालयी राज्यों में उगने वाली एक बेशकीमती वनस्पति है, जिसकी जड़ें, तना, पत्ती, फूल व फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। किलमोड़ा का वानस्पतिक वैज्ञानिक नाम Berberis asiatica DC. है जो Berberidaceae परिवार से आता है।
दुनियाँ भर में किलमोड़ा की 450 से 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। किलमोड़ा की प्रजातियां भारत के साथ ही नेपाल, चीन, भूटान, एशिया, यूरोप और अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाई जाती हैं।
हिन्दी भाषा में किलमोड़ा के नाम से प्रसिद्ध इस वनस्पति को अंग्रेजी में Indian barberry व Tree turmeric नाम से जाना जाता है। अन्य भाषाओं में जैसे गढ़वाली भाषा में किल्माडु, बंगाली में दारू हल्दी, संस्कृत में दारू हरीद्रा आदि नामों से भी जाना है।
उत्तराखण्ड में किलमोड़ा सामान्य तौर पर समुद्र तल से 900 से 2100 मीटर की ऊँचाई तक उगता है। इसके अतिरिक्त हिमांचल प्रदेश में 600 से 2700 मीटर, भूटान व असम में 1500 से 1800 मीटर की ऊँचाई तक किलमोड़ा पाया जाता है।
उत्तराखण्ड में किलमोड़ा Uttarakhand me Kilmora:
सामान्य रूप से नैनीतान, अल्मोड़ा तथा चम्पावत जनपदों के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। किलमोड़ा का पेड़ झाड़ीनुमा, कटीला तथा सदाबहार होता है, जो सामान्य के साथ ही पथरीली भूमि में भी आसानी से उगता है।
मार्च से अप्रैल के माह में किलमोड़ा में पीले रंग के फूल खिलते हैं तथा मध्य मई से जून अंत तक इसमें नीले रंग के छोटे-छोटे फल लगते हैं। जो स्वाद में लाजवाब और खट्टे मीठे होते हैं।
किलमोड़ा का उपयोग कैसे करते हैं kilmora ka upyog kese kare?
सामान्य रूप में किलमोड़ा के नीले रंग के फल को खाया जाता है। इसके साथ ही इसकी जड़ों का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है। उत्तराखण्ड में अनियंत्रित रूप में किलमोड़ा की जड़ों का दोहन गैर कानूनी हैं।
मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग Sugar me kilmora ki jadho ka prayog:
मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा एक नायाब औषधि है। इसके लिए किलमोड़ा की ताजा जड़ों को उबाल कर इसका अर्क तैयार किया जाता है। यह अर्क गाढ़ा पीले रंग का होता है, शुगर से ग्रसित व्यक्ति को यह अर्क दैनिक रूप से 15 से 20 ml दिन में 3 बार तक लिया जा सकता है। इसके नियमित उपयोग से रक्त में शर्करा के स्तर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
ध्यान रहे अधिक मात्रा में किलमोड़ा के जड़ का अर्क लेना शरीर में रक्तचाप तथा गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर चिकित्ससककता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इस लिए किलमोड़ा के अर्क का प्रयोग प्रारम्भ करने से पूर्व चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।
इसकी जड़ों में कुल 4 प्रतिशत क्षारीय तत्व तथा तने में तने में 1.95 प्रतिशत क्षारीय तत्व पाये जाते हैं। इसमें बेरबेरीन नामक तत्व क्रमशः 2.09 प्रतिशत व 1.29 प्रतिशत पाया जाता है।
एक शोध के अनुसार किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग कैंसर रोधी गतिविधि के लिए औषधि के रूप में किया जा सकता है।
मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग Sugar me kilmora ke falon ttha fal se teyaar juice ka prayog:
मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग भी काफी फायदेमंद रहा है। अनुसंधान से ज्ञात हुआ है कि दैनिक रूप में किलमोड़ा के 8 से 10 फल खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में सहायता मिलती है।
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पीलिया में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग piliya me kilmora ki jadho ka prayog:
किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग पीलिया की दवा बनाने में भी किया जाता है। पीलिया रोगी को बिना विशेषज्ञ की सलाह के किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग करने से बचने की सलाह दी जाती है।
गठिया के उपचार में किलमोड़ा के तने का प्रयोग Gathiya me kilmora ke tane ka prayog:
एक अनुसंधान के अनुसार किलमोड़ा के तने से निकाले गये तेल की मालिस करने से गठिया रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही किलमोड़ा के फल तथा फलों से तैयार जूस का सेवन करने से गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है।
किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी के फायदे Kilmora ke falon ttha sabji ke fayde:
किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी का सेवन शरीर में कई प्रकार के ऑक्सीडेटिव तनाव के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। किलमोड़ा का प्रयोग हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर के खतरे से बचाने तथा तनाव को कम करने में भी सहायक है।
यह सभी स्वास्थ्य लाभ किलमोड़ा में पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स, कैरोटीनॉयड और विटामिन-सी जैसे फाइटोकेमिकल्स की उपस्थिति के कारण होते हैं। इन फाइटोकेमिकल्स में पॉलीफेनोल्स को एंटीइफ्लामेंट्री, एंटीवायरल, एंटीवेक्टिरियल तथा एंटीऑक्सिडेंट तत्व के रूप में पहचाना जाता है।
उक्त तथ्यों से पता चलता है कि, पारंपरिक फलों के अतिरिक्त किलमोड़ा जैसे जंगली फलों में उच्च फेनोलिक्स पाया जाता है। यही तत्व लिपोप्रोटीन के ऑक्सीकरण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा खपत के बाद प्लाज्मा में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा में वृद्धि भी करता है।
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किलमोड़ा में कौन से पोषक तत्व पाये हैं Kilmora me koun se poshk tatwa paye jate hain?
एक शोध के अनुसार प्रति 10 ग्राम किलमोड़ा रस में प्रोटीन 6.2 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 32.91 प्रतिशत, पॉलीफेनोल 30.47 मिलीग्राम, संघनित टैनिन 7.93 मिलीग्राम, एस्कॉर्बिक एसिड 31.96 मिलीग्राम, बीटा-कैरोटीन 4.53 माइक्रोग्राम तथा लाइकोपीन 10.62 माइक्रोग्राम जैसे तत्व पाये जाते हैं। यह सभी तत्व हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने तथा कयी प्रकार के घातक रोगों शरीर की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पहाड़ी कृषि में किसानों के लिए आय एवं फसल सुरक्षा की दृष्टि से बहुपयोगी किलमोड़ाः
बहुपयोगी, गुणों से भरपूर एवं स्वास्थ्य वर्धक किलमोड़ा किसानों के लिए अतिरिक्त आय एक बेहतर विकल्प भी हो सकता है। यह किसानों के लिए निम्न प्रकार फायदेमंद हो सकता हैः
- पहाड़ी क्षेत्र के किसान जो जंगली जानकरों तथा आवारा पशुओं से खेती में हो रहे नुकसान से त्रस्त हैं, वह अपने खेतों में बाढ़ के रूप में किलमोड़ा के कटीले पेड़ लगाकर अपनी फसल को बचा सकते हैं।
- किसान अपने खेतों की बाढ़ में लगायें गये किलमोड़ा से प्राप्त होने वाली जड़ों को बेचकर भी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं, बसर्तें इसके लिए सरकार से अनुमति ली होनी चाहिए।
- वर्तमान में किलमाड़ा फल से उच्च गुणवत्ता का जूस तैयार किया जाने लगा है जिसके लिए 100 रूपया प्रति किलोग्राम तक किलमोड़ा का फल नैनीताल जनपद में गठित किसान सहकारिता ‘‘अलख स्वायत्त सहकारिता’’ महिलाओं खरीद रही है।
- बंजर पड़ी भूमि में किलमोड़ा की खेती की जा सकती है, जिससे फल, जड़ तथा तनों का व्यापार कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
इस प्रकार किसान भी किलमोड़ा से अतिरिक्त आय अर्जित कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
किलमोड़ा फल का जूस कहाँ मिलता है Kilmora fal ka juice kahan milta hai?
यदि आप भी किलमोड़े के बेशकीमती फायदे लेना चाहते हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, अब यह आपकी आसान पहुँच में उपलब्ध है। उत्तराखण्ड में नैनीताल जनपद के धारी विकास खण्ड में स्थित ‘‘अलख स्वायत्त सहकारिता’’ कयी वर्षों की रिसर्च के बाद विगत 2 वर्षों से किलमोड़ा जूस बना रही है।
किलमोड़े का यह गुणवत्तायुक्त जूस इसके ताजे फलों से तैयार कर बाजार में विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही इस जूस को आप घर बैंठे ऑनलाइन भी मगा सकते हैं। जिसके लिए आपको हमारी इसी वेबसाइट की ऑनलाइन हाट बाजार से अपना ऑडर प्लेस करना होगा।
तो दोस्तों आपको किलमोड़ा- Kilmora के बारे में दी गई यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताईये।
ICAR-Vivekananda Institute of Hill Agriculture, Almora, Uttarakhand, India द्वारा किलमोड़ा- Kilmora पर पब्लिस रिसर्च पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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आलेखः
Nice article
अति उत्तम व महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद।
अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद सर.