‘बात पहाड़ की‘ वेबसाइट के बारे में
‘बात पहाड़ की‘ एक राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र है। यह साप्ताहिक समाचार पत्र प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 के अन्तर्गत भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय में पंजीकृत है। हमारे समाचार पत्र की पंजीयन संख्या UTTHIN/2021/83295 है।
यह वेबसाइट हमारे पाठकों को हमसे डिजिटल माध्यम से जोड़ने के लिए बनाई गई है। इस वेबसाइट को बनाने का प्रमुख उद्देश्य अपने पाठकों तक कृषि, संस्कृति, कला, योग, आयुर्वेद, शिक्षा व विज्ञान से सम्बन्धित समाचार, आलेख, प्रमाणिक जानकारी एवं उपयोगी कंटेंट पहुँचाना है।
इस वेबसाइट में प्रकाशित समस्त समाचार, आलेख एवं जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय व सूचना प्रसारण मंत्रालय के डिजिटल मीडिया प्रभाग, भारत सरकार द्वारा दिनांक 25 फरवरी 2021 को अधिसूचित गाइड लाइन के अनुसार जनहित में प्रकाशित किया जाता है।
हम भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 एवं उपनियम 18 के तहत निर्धारित मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता का पूर्ण रूप से पालन करते हैं।
इस वेबसाइट की स्थापना “बात पहाड़ की” राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक पंकज सिंह बिष्ट द्वारा की गयी है। पंकज एक रूरल डेवलपमेंट एक्सपर्ट, कृषि विशेषज्ञ, पत्रकार, वित्त एवं बीमा सलाहकार और एक उद्यमी भी हैं। वह पर्वतीय ग्रामीण युवाओं को कृषि आधारित उद्यमिता को अपनाने के लिए प्रेरित करने का काम करते हैं। पंकज “अलख स्वायत्त सहकारिता” ALAKH (Association for Livelihood Actions in Kumaun Himalayas) Self Reliant Cooperative के प्रमुख संस्थापक सदस्य एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं।
पंकज ने समाज कार्य विषय से परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट), फ़ूड प्रोसेसिंग में डिप्लोमा, कृषि विज्ञान एवं तकनीकी में सर्टिफिकेट कोर्स की पढ़ाई की है। पंकज को विभिन्न राष्ट्रीय स्तरीय स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर सामाजिक विकास के क्षेत्र में लगभग 15 वर्ष कार्य करने का अनुभव है। वह उद्यमिता प्रशिक्षक के रूप में भी अपनी सेवाए देते हैं।
एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में पंकज के लिखे आलेख/ फीचर राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय अख़बारों, पत्र- पत्रिकाओं व वेबसाइटों में भी प्रकाशित होते रहते हैं।
इस वेबसाइट को बनाने का एक कारण यह भी है कि आज के बढ़ते डिजिटल तकनीक के युग में अंग्रेजी भाषा का ज्ञान न होना एक बढ़ी बाधा माना जाता है। लोग आज भी इसी कारण से नई तकनीक को अपनाने में परहेज करते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती है तो वह नया कुछ नहीं सीख सकते। वह इसी कारण मन ही मन में दुखी रहते हैं। चाह कर भी अपनी जिज्ञासा को दबाये रहते हैं।
हमारा मानना है कि ज्ञान हमेशा सब की आसान पहुँच में होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वह ऐसी भाषा और लिपियों में उपलब्ध हो जिसे पाठकों द्वारा आसानी से पढ़ा और समझा जा सके। आज इंटरनेट में सीखने लायक अथाह ज्ञान उपलब्ध है जिसे दृश्य और श्रव्य दोनों ही माध्यमों में प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन इसमें से अधिकतर जानकारी अंग्रेजी भाषा और लिपि में उपलब्ध है, ऐसा व्यक्ति जिसे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं होता उसके लिए इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
‘बात पहाड़ की‘ वेबसाइट हिन्दी भाषियों की इसी समस्या का समाधान करने का एक छोटा सा प्रयास भी है। यह वेबसाइट भारत ही नहीं वरन पूरी दुनियाँ के हिन्दी भाषियों और हिन्दी भाषा को पसंद करने वालों के लिए उपयोगी होगी ऐसा हमारा मानना है। हम अपनी वेबसाइट के माध्यम से आपको बेहतरीन और उच्च गुणवत्ता की उपयोगी दृश्य और श्रव्य सामग्री उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं।
‘बात पहाड़ की‘ वेबसाइट उन लोगों के लिए भी उपयोगी होगी जो स्वस्थ पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को समाधान के मंच में लाने की इच्छा रखते हैं या अपने ज्ञान को हिन्दी भाषा में लोगों तक पहुँचाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन किसी कारण से वह ऐसा नहीं कर पाते। ऐसे लेखकों व पत्रकारों को यह वेबसाइट लोगों तक पहुँचाने के लिए एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराती हैं।
हमारा प्रयास रहेगा कि हम समय के साथ-साथ हर उस जानकारी को आप तक पहुँचायें जो आपके लिए उपयोगी हो। आप हमें अपनी रूचि के विषयों पर जानकारी उपलब्ध कराने का सुझाव ईमेल के माध्यम से दे सकते हैं।
हमें पूरा विश्वास है कि आपको हमारी यह पहल पसंद आएगी।
यदि आप हमारे बारे में और विस्तार से जानना चाहते हैं या आपके कोई सवाल हैं तो आप हमें ईमेल लिख सकते हैं। हमारा ईमेल पता info@baatpahaadki.com है।
Team – ‘बात पहाड़ की’