तकनीक मानव जीवन को आसान बनाती है। आज हर किसी के हाथों में एक ऐसा शक्तिशाली उपकरण है, जिसने सारी दुनिया को आपकी मुट्ठी में ला दिया है। जब सारी दुनिया आपकी मुट्ठी में होगी तो दुनिया भर की अच्छाईयों के साथ ही दुनिया भर की बुराईयां भी आपके पास आयेंगी। बात उस उपकरण की हो रही है जिसे आप और हम मोबाइल या स्मार्ट फोन के नाम से जानते हैं। अब स्मार्ट फोन इंटरनेट की दुनिया में प्रवेश करने का द्वार है। इंटरनेट जहां अकूत जानकारी का भंडार है वहीं इसके दूसरे पहलू भी हैं, जो इसे खरतनाक बनाते हैं।
भारत जैसे विकासशील देश में पिछले कुछ वर्षों में स्मार्ट फोन का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। साइबर मीडिया रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार मई 2023 में 5ळ मोबाइल की बिक्री 100 मिलियन अर्थात 10 करोड़ को पार कर चुकी है।
वहीं मई 2023 में ही जारी एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब 759 मिलियन सक्रिय’ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जो महीने में कम से कम एक बार इंटरनेट का उपयोग करते हैं। आने वाले 2025 तक इन आंकड़ों के 900 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) और डेटा और एनालिटिक्स कंपनी कंटार की रिपोर्ट के अनुसार ’सक्रिय’ इंटरनेट उपयोगकर्ता में 399 मिलियन ग्रामीण भारत से हैं जबकि 360 मिलियन शहरी क्षेत्रों से हैं, यह दर्शाता है कि ग्रामीण भारत में इंटरनेट का उपयोग कितनी तेजी से बढ़ रहा है।
बचपन को घेरती तकनीक के खतरों को लेकर आयी एक हालिया रिपोर्ट यह बताती है कि वर्चुअल दुनिया मासूमों के लिए कितनी जोखिम भरी है। हाल के दिनों में ’क्राइ’- चाइल्ड राइट्स एंड यू और पटना स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक साझा अध्ययन में कहा गया है कि आज घरों में बच्चे इंटरनेट के उपयोग में मस्त रहते हैं वह मोबाइल में इस कदर डूबे रहते हैं कि उन्हें अपने समय का पता तक नहीं चलता। वहीं माता-पिता भी इस बात से बेपरवाह हैं कि उनके बच्चे इस आभासी दुनिया में क्या कर रहे हैं।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 424 अभिभावकों, इन्हीं राज्यों के 384 शिक्षकों तथा तीन राज्यों क्रमशः पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 107 हितधारकों को लेकर किये गये इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बड़ी संख्या में बच्चे ऑनलाइन दुर्व्यवहार का शिकार बन रहे हैं। अध्ययन में शामिल 33.2 प्रतिशत अभिभावकों के मुताबिक ऑनलाइन मंचों पर उनके बच्चों से अजनबियों ने ना सिर्फ मित्रता करने, निजी व पारिवारिक जानकारी मांगने और रिश्तों को लेकर यौन संबंधी परामर्श देने के लिए संपर्क किया, बल्कि आपत्तिजनक कंटेंट भी साझा किया। इतना ही नहीं, बच्चों से ऑनलाइन यौन संबंधी संवाद भी किया गया।
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में मौजूद कुत्सित मानसिकता के लोग इस माध्यम का इस्तेमाल बच्चों की तस्करी के लिए भी करते हैं। यह लोग कई तरीकों से बच्चों की जानकारी जुटाकर उनकी जान जोखिम में डालते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि व्यक्तिगत जानकारी, दिनचर्या, पारिवारिक पृष्ठभूमि और भावनात्मक कमजोरियां पता चलने से बच्चे आसानी से उनके जाल में फंस जाते हैं।
जिस संख्या में बच्चे सोसियल प्लेटफार्मों में सक्रिय हैं, ऐसे में दुर्व्यवहार और अपराध के ऐसे मामलों की संख्या भी अनगिनत होगी, जिनका पता ही नहीं चलता है। हालात ऐसे हैं कि कई मामलों में इस फेर में फंसे बच्चे शोषण और भय का शिकार बनकर आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं।
हमेशा हाथ में रहने वाले स्मार्ट फोन और इंटरनेट ने बच्चों की मानसिक समझ को और वास्तविक दुनिया की गंभीरता के प्रति उनके दृष्टिकोण को प्रभावित किया है, जिससे उनमें सही और गलत में पहचान करने की समझ कम हो रही है। वह स्मार्ट फोन और इंटरनेट की आभासी दुनिया को ही हकीतक मान लेते हैं। वर्तमान में इस आभासी दुनियां का जाल ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों तक फैल चुका है। वहीं स्मार्ट फोन और इंटरनेट के इस्तेमाल की सही समझ की बात करें तो यह हर जगह से नदारद है। इस बात की गंभीरता को न कोई सरकार समझ रही है और न कोई नियामक कि अब वर्चुअल दुनिया के लिए भी एक आचार संहिता की दरकार है।
हमें इस बात को गंभीरता से समझना होगा कि केवल ट्रेंड के चलते व्यक्तिगत जानकारियों तथा स्वयं से जुड़ी किसी भी बात को सोसियल मीडिया जैसे सार्वजनिक मंचों पर साझा न करें। हमें यह भी समझना होगा कि बदलते समय के साथ बचपन को सहेजने और सही रास्ता दिखाने से जुड़ी प्राथमिकताएं भी बदलती रहती हैं। वर्तमान समय में स्मार्ट फोन और इंटरनेट की उलझन भरी दुनिया से बच्चों को बचाना जरूरी हो गया है। आपके बच्चे सोसियल मीडिया में क्या कंटेंट देख रहे हैं? कितनी देर तक देख रहे हैं? इस बात को लेकर अभिभावकों को सजग रहने की आवश्यकता है।
वर्तमान में स्मार्ट फोन और इंटरनेट के दुष्प्रभावों का एक दूसरा पहलू भी उजागर हो रहा है, जिससे अब बच्चों के साथ वयस्क भी प्रभावित हो रहे हैं। यह खतरनाक पहलू इंटरनेट फ्रॉड और ब्लैकमेलिंग का है, जो तेजी से फैल रहा है। लोग तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं। लोगों को वीडियो कॉल कर नग्न वीडियो के साथ उनकी स्क्रीन रिकार्ड करना और फिर उस वीडियो के आधार पर लोगों के साथ फ्रॉड और ब्लैकमेलिंग करने की खबरें आये दिन सुनने में आ रही हैं।
इन सबसे बचने का एक ही उपाय है कि आप स्मार्ट फोन और इंटरनेट के उपयोग के प्रति जागरूक बनें। किसी भी फ्रॉड और ब्लैकमेलिंग के जाल में फंसने से बचाव के लिए जरूरी है कि आप बिना घबराये आपके साथ हो रही घटना की जानकारी अपने परिवारजन व मित्रों के साथ साझा करें। जरूरत पड़ने पर पुलिस की सहायता लें। इस प्रकार के ऑनलाईन फ्रॉड और ब्लैकमेलिंग के मामलों में आपको बदनाम करने और आपकी सामाजिक छवि को खराब करने की धमकी दी जाती है और आपसे पैसे की मांग की जाती है।
ध्यान रहे स्मार्ट फोन और इंटरनेट के खतरों से बचाव व ऑनलाईन फ्रॉड और ब्लैकमेलिंग से बचने के लिए जानकारी ही एक मात्र उपाय है।
पंकज सिंह बिष्ट, सम्पादक