मशरुम की व्यवसायिक खेती | Mashroom Ki Vyavasayik Kheti | Commercial cultivation of mushrooms
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दोस्तो नमस्कार!
आज के समय में मशरूम की व्यवसायिक खेती का प्रचलन बड़ी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है। खासकर युवा किसानों में यह व्यवसाय काफी लोक प्रिय होता जा रहा है।
आज के आलेख में हम आपको मशरूम की व्यवसायिक खेती के बारे में जानकारी देंगे। हम आपको यह भी बतायेंगे कि मशरूम उत्पादन की लोकप्रियता का क्या कारण है।
इस आलेख के साथ ही मशरूम की व्यवसायिक खेती पर हम एक पूरी सीरीज लेकर आ रहे हैं। इस पूरी सीरीज को पढ़ने के बाद आपको मशरूम उत्पादन में हर वह जानकारी मिल जायेगी, जिसकी आपको जरूरत पड़ने वाली है।
भारत में मशरूम की व्यवसायिक खेती का संक्षिप्त परिचयः
दोस्तो मशरूम एक विशेष प्रकार की फफूंद का फलनकाय है। जिसे अलग- अलग स्थानों में फुटु, छतरी, खुम्भ, छाती, कुकुरमुत्ता, चियूं, सिंघान जैसे नामों से भी जाना जाता है।
आपने अपने आसपास मशरूम को प्राकृतिक रुप से खेतों और जंगलों में उगते हुये भी देखा होगा। लेकिन जरा रूकिये इस प्रकार से खेतों व जंगलों में उगने वाले मशरूम खाने योग्य नहीं होते हैं।
प्राकृतिक रूप से उगने वाले 90 प्रतिशत मशरूम की प्रजातियाँ जहरीली एवं स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाली होती हैं। खाने में प्रयोग में लायी जाने वाली प्राकृतिक रूप से उगने वाली मशरूम की बेहतर पहचान की जानकारी अनिवार्य है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, पूरी दुनिया भर में मशरूम की दस हजार से अधिक प्रजातियाँ पायी जाती है। जिनमें से केवल 10 प्रतिशत प्रजातियाँ ही खाने योग्य हैं। शेष अन्य 90 प्रतिशत मशरूम की प्रजाति विषैली होती हैं।
भारत में मशरूम का उत्पादन:
प्राकृतिक रूप से उगने वाले तथा खाने योग्य मशरूम का स्तेमाल भारत के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों द्वारा काफी प्राचीन समय से किया जा रहा है। खासकर पहाड़ी इलाकों के वासिंदे इसे बड़े चाव से सब्जी के रूप में खाते हैं।
मशरूम की बड़ती लोकप्रियता तथा मांग को देखते हुये भारत में भी मशरूम उत्पादन को व्यवसायिक रूप से किया जाने लगा है।
विभिन्न वैज्ञानिक खोजों एवं अनुसंधान के बाद खाये जा सकने वाले इन जंगली मशरूमों की पहचान कर प्रयोगशाला में इनके विकास का अध्यन किया जाता है। इसके बाद वैज्ञानिकों द्वारा इनकी उत्पादन विधि विकसित की जाती है।
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आज अनेक प्रकार की मशरूम प्रजातियों को न केवल प्रयोगशाला में उगाया जा रहा है, वरन किसानों को मशरूम उत्पादन में प्रशिक्षित कर मशरूम की व्यवसायिक खेती भी की जा रही है।
भारत जैसे देश में आज मशरूम उत्पादन की स्थिति यह है कि मशरूम से बने उत्पादों का निर्यात तक किया जा रहा है, जिससे मशरूम की व्यवसायिक खेती करने वाले किसानों को काफी अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है।
भारत में प्रतिवर्ष मशरूम उत्पादन वर्तमान में लगभग 3 मिलियन टन है। कुल मशरूम उत्पादन का 85 प्रतिशत सफेद बटन मशरूम का उत्पादन होता है, दूसरे नम्बर में आयस्टर, पैरा मशरूम एवं दूधिया मशरूम उत्पादन है।
भारत में व्यवसायिक रूप में उगाई जाने वाली मशरूम की प्रजातियाँः
भारत में प्रमुख रूप से मशरूम की चार प्रजातियां उगाई जाती हैं। जिसमें से सफेद बटन मशरूम का उत्पादन सबसे अधिक होता है।
- बटन मशरूम (अगेरिकस स्पीसीज)
- आयस्टर मशरूम अथवा ढिंगरी मशरूम (प्लुरोटस स्पीसीज)
- पुआल मशरूम अथवा फुटु मशरूम (वालवेरियल्ला स्पीसीज)
- सफेद दुधिया मिल्की मशरूम (केलोसाइबी स्पीसीज)
मशरूम का प्रयोगः
मशरूम को एक स्वादिष्ट एवं पौष्टिक आहार माना जाता है। जिसे भोजन के रूप में विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है।
मशरूम का अचार, मशरूम पाउडर, मशरूम सूप, मशरूम की सब्जी तथा मशरूम विरयानी के रूप में मशरूम का प्रयोग किया जाता है।
मशरूम का उत्पादन कैसे किया जाता हैः
मशरूम का उत्पादन बन्द कमरे में किया जाता है। बंद तथा खाली पड़े कमरों अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में बीरान व बंजर मकानों में भी मशरूम का बेहतर उत्पादन किया जा सकता है।
वह किसान जिनके पास सीमित एवं कम कृषि भूमि है वह मशरूम कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। मशरूम का उत्पादन कम लागत एवं कम मेहनत पर सुगमता से किया जा सकता है।
मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूलताः
भारत में बटन मशरूम की खेती वर्ष 1961 में हिमाचल प्रदेश में सोलम में प्रारम्भ की गयी थी। भारत के पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में वर्ष 1977 से मशरूम की खेती प्रारंभ हुई थी। पहाड़ी राज्य मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूल पाये गये हैं।
भौगोलिक दृष्टि से मशरूम उत्पादन के लिये हर वह स्थान उपयुक्त एवं आदर्श माना जाता है, जहाँ का तापमान न्यूनतम 10°C से अधिकतम 30°C तक रहता है। लेकिन पर्याप्त तापमान नियंत्रण एवं नमी के साथ किसी भी स्थान पर मशरूम की व्यवसायिक खेती की जा सकती है।
मशरूम के उत्पादन के लिए प्रमुखतः तीन वातावरणीय कारकों की आवश्यकता होती है- 1. तापमान 2. नमी तथा 3. ताजी हवा।
मशरूम की व्यवसायिक खेती के लिए नमी तथा ताजा हवा की आवश्यकता लगभग सारी प्रजातियों में एक समान होती है। परन्तु तापमान विभिन्न प्रजातियो हेतु निम्न सारणी के अनुसार होना चाहिए-
मशरूम प्रजाति का नाम | उत्पादन हेतु आवश्यक तापमान | उत्पादन हेतु आवश्यक आन्द्रता (नमी) |
बटन मशरूम ( अगेरिकस स्पीसीज) | 15-25 °C | 80-85 % |
आयस्टर मशरूम अथवा ढिंगरी मशरूम (प्लुरोटस स्पीसीज) | 10-30 °C | 70-85 % |
पुआल मशरूम अथवा फुटु मशरूम (वालवेरियल्ला स्पीसीज) | 30-40 °C | 70-85 % |
सफेद दुधिया मिल्की मशरूम (केलोसाइबी स्पीसीज) | 25-35 °C | 70-85 % |
तो दोस्तों आपको मशरूम की व्यवसायिक खेती के बारे में दी गई यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताईये। मशरूम उत्पादन की अगली कढ़ी में हम आपको आयस्टर मशरूम अथवा ढिंगरी मशरूम (प्लुरोटस स्पीसीज) की व्यवसायिक खेती की विधि पर पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
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